Bhed Bhav

                                भेदभाव

आज भारत देश कोरोना से भी बड़ी भीमारी के चपेट मे हैं, जिसे हम भेदभाव के नाम से जानते हैं | यह पुरातन काल से चली आ रही बहुत पुरानी व बेईलाज बीमारी है।यह जीवनप्रभावी समस्या है और केवल एक मानसिक अवधारणा है, जिसका कोई तोड़ नहीं है इसलिए मेरे द्वारा इसे एक रोग (बीमारी) की संज्ञा देना गलत नहीं होगा ।
        भारत देश को लोग आज जितना सुंदर, स्वतंत्र और स्वच्छ समझते हैं, पर वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है, जब तक यहाँ लालच जैसा कुरुपता, भ्रष्टाचार की गुलामी और भेदभाव जैसी बीमारी रहेगी तब तक हमारा देश पूर्ण रूप से स्वच्छ, सुंदर, स्वतंत्र और विकसित नहीं हो पायेगा । भेदभाव भारत के सभी जगह अपना जड़े ऐसे जमा लिया है की उसे काटने मे भी परेशानियाँ है।
    कोरोना के जैसे ही इस बीमारी के भी कुछ लक्षण हैं,
जैसे- लिंगभेद, जातिभेद, धर्मभेद, रंगभेद अमीरी-गरीबी आदि।
लिंगभेद - पौराणिक काल से ही बच्चो को भगवान का रूप मानते हैं, पर आज उसी पर सवाल उठाते हैं लड़का है तो कुल का दीपक है और लड़की है तो कोई पराई वस्तु । लोग हमेशा से ही पुरुषो को ज्यादा अहमियत दिये हैं जिस कारण वे अपने आप को महिलाओं से उच्च मानते हैं । महिलाओं को न ही मानसिक व आर्थिक कार्यों मे भाग लेने देते थे और न ही शैक्षिक स्वतंत्रता थी।
आज के दौर मे महिलाएं अपने स्तर को इस प्रकार निखारा है की पुरुषों से भी अधिक योग्य व दक्ष हो गये हैं ।

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